समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर। जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है। कितनी सदियों से गुनाहगार हुए बैठे हैं। इम्दाद इमाम असर टैग : दुश्मन शेयर कीजिए There https://hindishayri.godaddysites.com/f/shayari-in-hindi---%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%80